*📘क्रोनी कैपिटलिज्म: क्या होता है? इसका अर्थ क्या है? इसका प्रभाव क्या-क्या हो सकता है?
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Crony capitalism |
Crony Capitalism: What is it? what is the meaning of this? What can be its effect?
एक कहावत है कि बिना ‘अर्थ के कोई तंत्र’ नहीं होता है. दुनिया में पूंजीवाद, साम्यवाद, समाजवाद और मिश्रित अर्थव्यवस्था जैसी कई आर्थिक प्रणालियां हैं. इन सभी प्रणालियों में उत्पादन के चार कारक हैं; भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमी काम करते हैं.
उत्पादन का चौथा कारक अर्थात उद्यमी, दुनिया में कई औद्योगिक क्रांतियों के लिए जिम्मेदार है. किसी उद्यमी की सफलता काफी हद तक संबंधित देश की सरकार के राजनीतिक समर्थन पर निर्भर करती है.
जैसे जैसे हम अधिक आर्थिक और तकनीकी विकास कर रहे हैं, आय असमानता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण है राजनेताओं और उद्यमियों के बीच एक मजबूत सांठगांठ. इस सांठगांठ को ही क्रोनी कैपिटलिज्म कहा जाता है.
क्रोनी कैपिटलिज्म के मजबूत होने से द्वारा साधारण जनता पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह उधमी क्षेत्र हो या राजनीतिक क्षेत्र साधारण जनता अपनी छोटी-छोटी आधारभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए इन बड़े उद्यमियों एवं राजनीतिक नेताओं के उनके क्षेत्र में सहयोग, श्रमदान देकर पुणे प्रगति एवं सफलता की शीर्ष में पहुंचाते हैं परंतु बदले में यह राजनेता और उद्यमियों स्वयं के पास विपुल धन-संपत्ति अर्जित कर जनसाधारण को बहुत कम लाभ पहुंचाने हेतु कार्यान्वयन निर्धारित करते हैं तथा कुछ साधारण जरूरतों की पूर्ति करके उन्हें ठग लेते हैं और मुनाफा का काफी बड़ा हिस्सा अपने पास रख लेते हैं।
💬क्रोनी कैपिटलिज्म का अर्थ क्या है (Meaning of Crony Capitalism):-*
ऑक्सफर्ड डिक्शनरी के अनुसार, क्रोनी का शाब्दिक अर्थ होता है 'अ क्लोज फ्रेंड ऑर कंपैनियन (करीबी दोस्त या सखा)'.यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द 'ख्रोनियोज' से बना है जिसका अर्थ होता है 'लंबे समय तक टिकने वाला। हम देखते हैं जब राजनीतिक नेताओं और बड़े बड़े उद्यमियों क्या आपस में परस्पर सांठगांठ बनी रहती है तो हम पाते हैं कि किसी भी उद्यमिता के क्षेत्र में उद्यमियों को बहुत सारी छूटे भी प्रदान की जाती है और वहीं दूसरी और आम जनसाधारण अपनी छोटी-छोटी कर्ज माफी के लिए निवेदन करता थक जाता है।
क्रोनी कैपिटलिज्म का अर्थ ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें एक बिज़नेस की सफलता बाजार की शक्तियों के द्वारा नहीं बल्कि राजनीतिक वर्ग और व्यापारी वर्ग के बीच सांठगांठ पर निर्भर करती है. इसमें सरकार ऐसी नीतियां बनाती है जिससे एक विशेष वर्ग को लाभ होता है और यह लाभ कमाने वाला वर्ग भी सरकार को कुछ लाभ ट्रान्सफर करता रहता है.
एक व्यवसाय की सफलता; सरकार द्वारा सरकारी अनुदान देना, लचर कर संरचना, अपने पसंद के लोगों को टेंडर देना, व्यापारी वर्ग के हितों के लिए नीतियां बनाना, प्रतियोगिता को रोकना, नयी फार्मों के प्रवेश को रोकना, और अन्य तरह से व्यापारिक सहयोग शामिल है.
💬क्रोनी कैपिटलिज्म इंडेक्स (Crony Capitalism Index):-*
यह सूचकांक इस बात की गणना करता है कि उद्योगों में कितनी आर्थिक गतिविधियां होती हैं जो कि क्रोनिज़्म से ग्रस्त हैं? क्रोनी कैपिटलिज्म इंडेक्स 2014 में जर्मनी सबसे साफ-सुथरा देश था, जहां देश का सिर्फ एक व्यापारी / अरबपति क्रोनियन क्षेत्रों से अपनी संपत्ति लाता था. दूसरी ओर, रूस सबसे खराब रैंक पर था, जहां देश का 18% धन देश के क्रोनी क्षेत्रों से आता था.
भारत को क्रोनी-कैपिटलिज्म इंडेक्स में 9वें स्थान पर रखा गया था, यहाँ देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4% हिस्सा क्रोनिज़्म क्षेत्र से आता था।
क्रोनी कैपिटलिज्म इंडेक्स 2016 में, रूस सबसे खराब दशा में था जिसके बाद मलेशिया को दूसरी रैंक, फिलीपींस को तीसरी रैंक पर और सिंगापुर को चौथी रैंक पर रखा गया था.
💬क्रोनी-कैपिटलिज्म के उदाहरण (Example of Crony Capitalism):-*
इस उदाहरण में हम अपनी बाध्यताओं के कारण उन उद्योगपतियों के नाम नहीं बता रहे हैं जो कि भारत में क्रोनी-कैपिटलिज्म के कारण हाल ही में भारत के सबसे धनाढ्य लोगों में शामिल हुए हैं।
भारत में कई कंपनियां हैं जो पिछले 6 सालों से भारी मुनाफा कमा रही हैं. ये कंपनियां राजनीतिक दलों को चुनावी चंदे के नाम पर मोटी रकम दान कर रही हैं और बदले में राजनीतिक दल इन कंपनियों के मालिकों के लिए कई अनुकूल नीतियों और निविदाओं, कर छूट, सब्सिडी, और नए लाइसेंस पर रोक लगाकर इनका सपोर्ट कर रहे हैं।
यदि आप भारत के अरबपतियों की सूची देखें, तो उनमें से कुछ ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कुल संपत्ति में कई गुना वृद्धि की है और टॉप 10 अमीरों की सूची में जगह बना ली है. यह सब क्रोनी-कैपिटलिज्म का ही परिणाम है.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट 2019, "पब्लिक गुड या प्राइवेट वेल्थ" शीर्षक से पता चला कि भारत के शीर्ष 10% अमीर कुल 77.4% राष्ट्रीय सम्पति के मालिक हैं. दूसरी तरफ भारत की निचले पायदान की 60% आबादी, राष्ट्रीय संपत्ति का केवल 4.8% रखती है।
इस क्रोनी-कैपिटलिज्म का ही परिणाम है कि भारत और दुनिया में अमीर व्यक्ति और अमीर और गरीब व्यक्ति और गरीब होता जा रहा है। अमीर गरीब की बढ़ती खाई का जिम्मेदार इन राजनीतिक नेताओं और बड़े-बड़े उद्यमियों का आपस में हाथ मिलाना एवं बड़े-बड़े मुनाफों का बहुत छोटा हिस्सा है श्रमदान देने वाले श्रमिक एवं कर्मचारियों को आवंटित करना।
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि क्रोनी कैपिटलिज़्म से देश और दुनिया की कुल संपत्ति केवल कुछ लोगों के हाथों में केन्द्रित होती जा रही है और 7.5 करोड़ आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी भूखे पेट सोने को मजबूर है⏹️
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